Grow your business with 50 Vastu tips
50 वास्तु टिप्स से करें अपने व्यापार में तरक्की
हर व्यवसायी अपने व्यापार को बढ़ाना चाहता है। वास्तु शास्त्र का सही अनुपालन व्यवसाय में सफलता के लिए महत्वपूर्ण होता है। सही दिशा, संरचना और ऊर्जा संतुलन से हम व्यवसाय में सफलता और समृद्धि पा सकते हैं।
वास्तु शास्त्र प्राचीन विज्ञान है जो दिशा, संरचना और ऊर्जा पर आधारित है। अगर आपके व्यवसाय में किसी प्रकार का वास्तु दोष है, तो इससे नकारात्मक ऊर्जा पैदा हो सकती है, जिससे व्यापार में रुकावटें और हानियां हो सकती हैं। वास्तु के कुछ सरल नियम अपनाकर हम इन बाधाओं को दूर कर सकते हैं।
50 वास्तु टिप्स
1. शेरमुखी प्लॉट चुनें
व्यापार के लिए शेरमुखी प्लॉट लें, जो सामने से चौड़ा और पीछे से संकरा हो।
2. अनुकूल दिशा में संपत्ति लें
अपनी अनुकूल दिशा में संपत्ति लें। यह जन्मतिथि के आधार पर तय होती है।
3. मुख्य द्वार की दिशा
मुख्य द्वार पूर्व या उत्तर दिशा में होना चाहिए।
4. द्वार पर रुकावट न हो
मुख्य द्वार पर कोई बिजली का खंभा, पेड़ या अन्य रुकावट न हो।
5. व्यवसाय स्थल की दिशा
उत्तर, उत्तर-पूर्व या उत्तर-पश्चिम दिशा की ओर व्यवसाय स्थल होना शुभ होता है।
6. नए प्रोजेक्ट में अनुकूल दिशा देखें
नया सौदा करते समय या प्रोजेक्ट लेते समय अपनी अनुकूल दिशा में मुख रखें।
7. बैठने की दिशा
व्यवसायी को उत्तर, पूर्व या उत्तर-पूर्व दिशा की ओर बैठना चाहिए।
8. पहले केबिन में मालिक न बैठें
पहला केबिन मालिक का न हो, बल्कि किसी सूचना देने वाले का हो।
9. मालिक का केबिन पश्चिम में हो
मालिक का केबिन पश्चिम दिशा में हो ताकि नेतृत्व क्षमता बढ़े।
10. कर्मचारियों की दिशा
कर्मचारी अपनी अनुकूल दिशा में बैठें।
11. डेस्क की संरचना
डेस्क चौकोर या आयताकार होनी चाहिए। अनियमित आकार भ्रम पैदा करता है।
12. डेस्क पर एक से अधिक कर्मचारी न हों
एक डेस्क पर एक ही कर्मचारी बैठें, अन्यथा ध्यान भंग होता है।
13. खाली केंद्र स्थान
कार्यालय का केंद्र भाग खाली होना चाहिए।
14. मालिक के पीछे ठोस दीवार
मालिक की कुर्सी के पीछे ठोस दीवार होनी चाहिए, इससे समर्थन मिलता है।
15. उत्तर-पश्चिम में शौचालय न बनाएं
उत्तर-पश्चिम दिशा में शौचालय न हो।
16. उत्पाद सामने न रखें
कोई तैयार उत्पाद या सामान सामने की डेस्क पर न रखें।
17. कागज और दस्तावेज़ दक्षिण-पश्चिम में रखें
महत्वपूर्ण दस्तावेज़ दक्षिण-पश्चिम दिशा में सुरक्षित रखें।
18. अव्यवस्थित डेस्क न हो
डेस्क को साफ और व्यवस्थित रखें।
19. लकड़ी के डेस्क का प्रयोग करें
लकड़ी के डेस्क से सकारात्मक ऊर्जा आती है।
20. स्वागत क्षेत्र हवादार हो
रिसेप्शन क्षेत्र हवादार और आकर्षक होना चाहिए।
21. अच्छी रोशनी
कार्यालय में अच्छी रोशनी होनी चाहिए।
22. सजावट अनुकूल दिशा में हो
अनुकूल दिशा में पौधे, पेंटिंग्स और अन्य सजावटी वस्तुएं रखें।
23. पीठ द्वार की ओर न हो
किसी की पीठ द्वार की ओर न हो, इससे अविश्वास का संकेत मिलता है।
24. लेखाकार का केबिन
लेखाकार का केबिन पूर्व या उत्तर दिशा में होना चाहिए।
25. विद्युत उपकरण
विद्युत उपकरण दक्षिण-पूर्व दिशा में रखें।
26. टूटी वस्तुएं न रखें
कार्यालय में टूटी हुई वस्तुएं न रखें।
27. उत्तर-पश्चिम में सम्मेलन कक्ष
सम्मेलन कक्ष उत्तर-पश्चिम में रखें।
28. एक्वेरियम रखें
कार्यालय में नौ गोल्डफिश और एक ब्लैकफिश वाला एक्वेरियम रखें।
29. उत्तर दिशा में पेंट्री न हो
उत्तर दिशा में पेंट्री न बनाएं।
30. वरिष्ठ प्रबंधन दक्षिण में बैठे
वरिष्ठ प्रबंधन दक्षिण दिशा में बैठे।
31. दरवाजे के सामने डेस्क न हो
दरवाजे के सामने डेस्क न रखें।
32. खिड़की मालिक के पीछे न हो
मालिक के पीछे खिड़की या दर्पण न हो।
33. पानी का प्रबंधन उत्तर-पूर्व में हो
जल प्रबंधन उत्तर-पूर्व दिशा में होना चाहिए।
34. हल्के रंग की दीवारें
कार्यालय में हल्के रंग की दीवारें रखें।
35. अनावश्यक फर्नीचर न हो
अनावश्यक फर्नीचर और पुराने दस्तावेज़ कार्यालय में न रखें।
36. आकर्षक साइन बोर्ड
कार्यालय के लिए आकर्षक साइन बोर्ड रखें।
37. मुख्य द्वार आकर्षक हो
मुख्य द्वार को साफ और आकर्षक बनाएं।
38. प्रेरणादायक चित्र रखें
कार्यालय में प्रेरणादायक चित्र और उद्धरण लगाएं।
39. मंदिर उत्तर-पूर्व में हो
कार्यालय में मंदिर उत्तर-पूर्व दिशा में रखें।
40. कार्यालय की नियमित सफाई
कार्यालय की नियमित सफाई करें।
41. पुरानी फाइलें न रखें
पुरानी और बेकार फाइलें हटा दें।
42. सकारात्मक चित्र लगाएं
कार्यालय में सकारात्मक और प्रेरणादायक चित्र लगाएं।
43. कैशियर की दिशा
कैशियर का स्थान ऐसा हो कि वह अन्य कर्मचारियों को काम करते हुए न देख सके।
44. पीला रंग शुभ है
साइन बोर्ड का रंग पीला, गुलाबी या सफेद रखें।
45. दुखद चित्र न लगाएं
कार्यालय में उदास चित्र या ढलते सूरज के चित्र न लगाएं।
46. प्रसन्नचित्त चित्र लगाएं
खुश बच्चों या सफल व्यक्तियों के चित्र लगाएं।
47. अच्छी वायु संचार
कार्यालय में वायु का उचित संचार होना चाहिए।
48. उत्तर-पूर्व में फव्वारा
अगर संभव हो तो उत्तर-पूर्व दिशा में फव्वारा लगाएं।
49. नियमित निरीक्षण
कार्यालय का वास्तु निरीक्षण नियमित रूप से करवाते रहें।
50. अनुकूल दिशा में प्रवेश
कार्यालय में प्रवेश करते समय अपनी अनुकूल दिशा का ध्यान रखें।