विष्णु: सर्वोच्च देवता
विष्णु को वैदिक परंपरा में सूर्य-नारायण के रूप में पूजा जाता है। नारायण, विष्णु का ब्रह्मांडीय रूप, पूरे सृष्टि के संचालन के प्रभारी हैं। ‘ओम नमो नारायणाय’ मंत्र साधुओं द्वारा जपने वाला एक पवित्र मंत्र है, जो हमें सर्वोच्च चेतना से जोड़ता है और हमारे कर्म और ज्योतिषीय प्रभावों को संतुलित करता है।
उपनिषदों में सूर्य को विष्णु के सर्वोच्च पुरुष (पुरुष) रूप के रूप में बताया गया है, जो सूर्य में वास करते हैं (आदित्ये पुरुष)। विष्णु का संबंध बुध ग्रह (बुध) से भी है, जो बुद्धि और धर्म का प्रतिनिधित्व करता है। बुध सूर्य की बुद्धि को दर्शाता है, जो यह इंगित करता है कि विष्णु और सूर्य का गहरा संबंध है
ब्रह्मांड और ज्योतिष में विष्णु की भूमिका
ऋग्वेद में विष्णु को सात ग्रहों का अधिपति बताया गया है (ऋ. I.164.36)। उनका सर्वोच्च स्थान, परम पदम, अंतिम आनंद और सृष्टि के आधार का प्रतीक है। विष्णु को ध्रुव तारा के रूप में भी जाना जाता है, जो ब्रह्मांडीय गति का केंद्र है और सृष्टि के चक्र को नियंत्रित करता है। ऋग्वेद में विष्णु के 360 नामों का उल्लेख है (ऋ. I.155.6), जो राशि चक्र के प्रत्येक अंश से जुड़े हैं। यह दर्शाता है कि विष्णु केवल सूर्य नहीं बल्कि ब्रह्मांड की संरचना के लिए जिम्मेदार बुद्धिमत्ता हैं।
ज्योतिष ग्रंथों में विष्णु
ज्योतिष ग्रंथ, जैसे बृहद् पाराशर होरा शास्त्र, विष्णु पर आधारित हैं। ज्योतिष शास्त्र में ग्रहों के दोषों को कम करने और चार्ट पढ़ने की क्षमता बढ़ाने के लिए विष्णु सहस्रनाम का जाप करने की सिफारिश की जाती है। हालांकि पारंपरिक रूप से सूर्य के लिए शिव को प्रधान देवता माना गया है, विष्णु का प्रभाव सूर्य और अन्य ग्रहों पर स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है।
विष्णु के अवतार और ग्रहों का संबंध
विष्णु के दस अवतार ग्रहों से संबद्ध हैं, और उनके अवतार दिवस हर वर्ष मनाए जाते हैं:
ग्रह | अवतार | अवतार दिवस |
---|---|---|
सूर्य | राम | राम नवमी (चैत्र शुक्ल नवमी) |
चंद्रमा | कृष्ण | कृष्ण जन्माष्टमी (श्रावण कृष्ण अष्टमी) |
मंगल | नरसिंह | वैशाख शुक्ल चतुर्दशी |
बुध | बुद्ध | वैशाख पूर्णिमा |
बृहस्पति | वामन | भाद्रपद शुक्ल द्वादशी |
शुक्र | परशुराम | वैशाख शुक्ल तृतीया |
शनि | कूर्म | वैशाख पूर्णिमा |
राहु | वराह | भाद्रपद शुक्ल तृतीया |
केतु | मत्स्य | चैत्र शुक्ल तृतीया |
नक्षत्र और विष्णु का संबंध
विष्णु के कई नक्षत्रों से संबंध हैं:
- श्रवण (मकर): विष्णु के त्रिविक्रम रूप का प्रतीक, जो ज्ञान और अनुभव प्रदान करता है।
- रोहिणी (वृषभ): श्रीकृष्ण का नक्षत्र, जो मार्गदर्शन प्रदान करता है।
- पुनर्वसु (मिथुन-कर्क): श्रीराम से जुड़ा, विशेषकर इसके अंतिम चरण में। यह आदिति, सूर्य देवों की माता, का भी नक्षत्र है।
- पूर्व फाल्गुनी (सिंह): सूर्य के भग या भगवान रूप को दर्शाता है।
- उत्तराषाढ़ (धनु-मकर): विश्वदेवों का स्थान, जहां विष्णु ब्रह्मांडीय प्रकाश के अधिपति हैं।
कुंडली में विष्णु की भूमिका
जन्म कुंडली में विष्णु का प्रभाव धर्म स्थानों (1, 5, 9) से जुड़ा होता है। यह आत्मा, बुद्धि और धर्म के प्रति प्रकाश और सामंजस्य लाता है।
- सिंह (Leo): राजा के रूप में विष्णु का संबंध सूर्य से है।
- मिथुन और कन्या (Gemini और Virgo): बुध के राशियां विष्णु के बौद्धिक पहलुओं को विकसित करती हैं।
- मीन और धनु (Pisces और Sagittarius): बृहस्पति की राशियां विष्णु की आध्यात्मिकता और मार्गदर्शन को उजागर करती हैं।
आयुर्वेद और चिकित्सा ज्योतिष में, विष्णु का धन्वंतरि रूप सर्वोत्तम चिकित्सक माना जाता है। बुध उपचार बुद्धिमत्ता का प्रतिनिधित्व करता है, जबकि सूर्य प्राण का संचालन करता है।
विष्णु का ब्रह्मांडीय महत्व
विष्णु ज्योतिषीय सीमाओं से परे हैं। वे ब्रह्मांडीय बुद्धिमत्ता का प्रतीक हैं, जो सृष्टि की संरचना को संचालित करते हैं। उनकी शक्तियां – श्री, लक्ष्मी, नारायणी, वैष्णवी, भू देवी, सीता और राधा – उनकी सार्वभौमिक भूमिका को और विस्तार देती हैं।
ओम! श्री विष्णवे नमः! श्री वेद पुरुषाय नमः!