ज्योतिष शास्त्र में जन्म कुंडली का विश्लेषण बिना अस्त ग्रहों के अध्ययन के अधूरा माना जाता है। ग्रहों के अस्त होने से उनकी शक्ति कमजोर हो जाती है, और उनकी क्षमता में कमी आ जाती है, जिससे कुंडली धारक के जीवन पर इसका गहरा प्रभाव पड़ता है।
अस्त ग्रह क्या होते हैं?
जब कोई ग्रह सूर्य से एक निश्चित दूरी के भीतर आ जाता है, तो सूर्य के तेज के कारण उसकी आभा और शक्ति घटने लगती है। इस स्थिति को “अस्त” कहा जाता है। इस प्रक्रिया में ग्रह अपनी प्रभावशाली भूमिका खो देता है और ज्योतिषीय दृष्टिकोण से कमजोर हो जाता है। इसका परिणाम यह होता है कि ग्रह कुंडली में सही तरीके से कार्य नहीं कर पाता।
ग्रहों के अस्त होने की स्थिति
हर ग्रह की सूर्य से दूरी डिग्रियों में मापी जाती है, और इसी माप के आधार पर यह तय होता है कि ग्रह कब अस्त होगा। यहाँ कुछ प्रमुख ग्रहों के अस्त होने की स्थितियाँ दी गई हैं:
- चंद्रमा: सूर्य के 12 डिग्री के भीतर आने पर अस्त हो जाता है।
- गुरु (बृहस्पति): सूर्य के 11 डिग्री के भीतर आने पर अस्त हो जाता है।
- शुक्र: सूर्य के 10 डिग्री के भीतर आने पर अस्त होता है, पर वक्री स्थिति में 8 डिग्री पर।
- बुध: सामान्य स्थिति में 14 डिग्री पर, वक्री स्थिति में 12 डिग्री पर अस्त हो जाता है।
- शनि: सूर्य के 15 डिग्री के भीतर आने पर अस्त होता है।
- राहु-केतु: छाया ग्रह होने के कारण कभी अस्त नहीं होते।
अस्त ग्रह का प्रभाव
जब कोई ग्रह अस्त होता है, तो उसकी सकारात्मक और नकारात्मक दोनों शक्तियाँ प्रभावित होती हैं। इसका प्रभाव ग्रह की स्थिति और सूर्य से उसकी दूरी पर निर्भर करता है। यदि ग्रह शुभ है तो उसकी शुभता कम हो जाती है, और अशुभ ग्रह के अस्त होने से उसकी अशुभता भी कमजोर हो जाती है।
कुंडली पर प्रभाव:
- शुभ ग्रह का अस्त होना: यदि कुंडली में शुभ ग्रह अस्त हो, तो जीवन में बाधाएं, स्वास्थ्य समस्याएं, आर्थिक कठिनाइयाँ, और रिश्तों में तनाव उत्पन्न हो सकते हैं।
- अशुभ ग्रह का अस्त होना: अशुभ ग्रह का अस्त होना व्यक्ति के लिए कुछ राहत दे सकता है क्योंकि उसकी नकारात्मकता कम हो जाती है।
अस्त ग्रह के प्रभाव को कम करने के उपाय
1. रत्न धारण
यदि ग्रह शुभ हो और अस्त हो गया हो, तो उस ग्रह का रत्न धारण करना लाभदायक होता है। यह ग्रह को अतिरिक्त बल प्रदान करता है, जिससे वह कुंडली में बेहतर परिणाम दे सकता है। उदाहरण के लिए, सूर्य के अस्त होने पर माणिक, और चंद्रमा के अस्त होने पर मोती धारण करना उपयोगी हो सकता है।
2. मंत्र जप
- यदि ग्रह अशुभ है और अस्त हो गया है, तो रत्न धारण करने की बजाय उसके मंत्र का जाप करना चाहिए। बीज मंत्र या वेद मंत्र का जाप ग्रह की शक्ति को जागृत करता है और उसके अशुभ प्रभाव को कम करता है।
- मंत्र जप से ग्रह की नकारात्मकता समाप्त होती है और उसका प्रभाव शुभ हो जाता है।
3. विशेष पूजा और उपाय
अस्त ग्रहों को सक्रिय करने के लिए विशेष अनुष्ठान और पूजा भी आवश्यक हैं। इसके लिए ज्योतिषीय सलाह लेकर विशेष पूजा पद्धतियाँ अपनाई जाती हैं, जैसे कि ग्रह शांति अनुष्ठान या रुद्राभिषेक।
निष्कर्ष
अस्त ग्रहों का अध्ययन कुंडली के गहरे विश्लेषण के लिए महत्वपूर्ण है। ग्रहों की शक्ति को पुनः स्थापित करने के लिए रत्न धारण, मंत्र जप, और विशेष पूजा विधियाँ अपनानी चाहिए। यह व्यक्ति के जीवन में आने वाली समस्याओं को कम करने में सहायक होती हैं और कुंडली में बेहतर परिणाम प्राप्त करने में मदद करती हैं।