मूल नक्षत्र: इसे अशुभ क्यों समझा जाता है?

मूल नक्षत्र को केतु और विनाश की देवी निर्ऋति के कारण “अशुभ” माना जाता है, लेकिन यह नक्षत्र जीवन में गहराई, सत्य की खोज, और पुराने को हटाकर नए सृजन का प्रतीक है। यह असंभव कार्यों को संभव बनाने और आध्यात्मिक मुक्ति का मार्ग दिखाता है। जातकों को अपनी शक्ति पहचानकर सकारात्मक बदलाव लाने की प्रेरणा लेनी चाहिए।

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केतु के लिए सबसे प्रतिकूल घर कौन से हैं?

केतु तृतीय, षष्ठ, सप्तम और दशम भाव में सबसे प्रतिकूल माना जाता है। यह व्यक्ति के साहस, स्वास्थ्य, वैवाहिक जीवन और करियर में बाधाएँ उत्पन्न कर सकता है। लेकिन सही उपायों और आध्यात्मिक दृष्टिकोण से इन प्रभावों को नियंत्रित किया जा सकता है।

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